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UP में कोर्ट ने जमीन मालिकों के पक्ष में सुनाया फैसला, सरकार को लगी बड़ी चपत

UP Highcourt

Times Of Discover इलाहाबाद : वाराणसी में प्रस्तावित ट्रांसपोर्टनगर के भूमि अधिग्रहण मामले में मुआवजा न पाने वाले किसानों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार बिना अवार्ड घोषित किए और मुआवजा दिए किसानों की जमीन पर दावा नहीं कर सकती और न ही उन्हें बेदखल कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि इन किसानों के अधिकार तब तक सुरक्षित रहेंगे जब तक यूपी सरकार उन्हें उचित मुआवजा नहीं दे देती.

कोर्ट ने उन किसानों की याचिका भी खारिज कर दी, जिन्हें अनुबंध नियमों के तहत अवार्ड घोषित होने के बाद मुआवजा मिला था। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की पीठ ने वाराणसी के ठाकुर प्रसाद एवं अन्य तथा हरिवंश पांडे एवं अन्य की याचिका पर संयुक्त रूप से फैसला सुनाते हुए दिया।

मामले में वाराणसी विकास प्राधिकरण को ट्रांसपोर्ट नगर बसाना है। 25 जून 2001 को नोटिस जारी कर काश्तकारों से आपत्तियां मांगी गईं। प्राधिकरण ने कसवार परगना के चार गांवों कर्णदादी, विरवा, मिल्की चक और सराय मोहन में करीब 86.299 हेक्टेयर जमीन तय की.

डीएम ने 27 अप्रैल 2011 को किसानों के साथ बैठक कर 45.249 हेक्टेयर जमीन का अवार्ड घोषित कर 39 करोड़, 26 लाख, 76 हजार, 250 रुपये मुआवजा दिया और शेष जमीन पर कोई निर्णय नहीं लिया. कुल 400 किसानों को मुआवजा दिया गया।

किसानों ने अवार्ड पर आपत्ति जताई और शेष जमीन पर कोई अवार्ड घोषित नहीं किया गया। उन्होंने विकास प्राधिकरण समेत विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी तक गुहार लगाई लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई।

प्राधिकरण ने पूरी भूमि पर दावा किया और बेदखली की कार्यवाही शुरू की। किसानों ने भूमि अधिग्रहण की 2001 की अधिसूचना को चुनौती देते हुए और इसे रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। कहा कि अधिग्रहीत भूमि कृषि योग्य है। उसके अधिग्रहण की जरूरत नहीं है. वहां पहले से ही आवासीय घर, पेड़ वगैरह मौजूद हैं।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि घोषित पुरस्कार बहुत कम है. प्राधिकरण मामूली दामों पर किसानों की जमीन लेकर उसे कई गुना ऊंचे दामों पर बेचकर मुनाफा कमा रहा है।

साथ ही मुआवजा पाने वालों की सूची भी कोर्ट को सौंपी गयी. इसमें एक ही किसानों के नाम कई-कई बार हैं। साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों के नाम भी जोड़े गए हैं. कुछ किसानों को तो पूरी रकम भी नहीं मिली है.

सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह ने कहा कि डीएम वाराणसी ने शेष जमीन के अधिग्रहण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था। शासन से अभी तक इस मामले को मंजूरी नहीं मिली है।

मंजूरी मिलते ही छह सप्ताह के भीतर शेष जमीन का अधिग्रहण शुरू कर दिया जाएगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहण की कार्यवाही दिल्ली एयरटेक सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों पर आधारित होगी।

कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन किसानों को अवार्ड घोषित होने के बाद मुआवजा नहीं मिला है या जिन्हें अपेक्षित मुआवजा नहीं मिला है. वे अपना दावा विशेष भूमि अध्याप्ति पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करेंगे. विशेष भूमि पदाधिकारी दो सप्ताह के अंदर उनके दावों का निपटारा कर मुआवजा राशि उनके खाते में भेज देंगे.

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