Sharda-Yumna and Sabarmati Link Canal Project: क्या है शारदा साबरमती परियोजना,12 हजार मिलियन क्यूसेक पानी हर समय चलेगा, लंबाई करीब दो हजार किलोमीटर प्रस्तावित

Sharda-Yumna and Sabarmati Link Canal Project: इस नहर के निर्माण से शारदा नदी नेपाल बॉर्डर से लेकर बिजनौर के थाना बढ़ापुर क्षेत्र के गांवों को होकर यमुना नदी में जोड़ी जाएगी। जिससे बिजनौर के कई गांव पूरी तरह से खत्म हो( sharda yamuna sabarmati link project map)जाएंगे। इस नहर में लगभग 12 हजार मिलियन क्यूसेक पानी हर समय चलेगा। नहर की चौड़ाई करीब 600 मीटर तथा लंबाई करीब 386 किलोमीटर होगी। इस परियोजना के लिए ड्रोन से भी सर्वे किया जा रहा है ताकि नहर के रूपरेखा को सुनिश्चित किया जा सके।
भारत सरकार (sharda yamuna link project in hindi)नदियों को आपस में जोड़ने के लिए एक बड़ी परियोजना विचार कर रही है। इसी क्रम में शारदा और साबरमती नदी को जोड़ने की परियोजना तैयार की जा रही है। इस परियोजना के तहत एक बड़ी नहर का निर्माण होने की संभावना है जो नेपाल की शारदा नदी को यमुना और गुजरात की साबरमती नदी से जोड़ेगी। यह परियोजना किसी निश्चित समयखंड में नहीं है लेकिन इसके विरोध की आवाज बड़ने लगी है।
इस नहर के निर्माण से शारदा नदी नेपाल बॉर्डर से लेकर बिजनौर के थाना बढ़ापुर क्षेत्र के गांवों को होकर यमुना नदी में जोड़ी जाएगी। जिससे बिजनौर के कई गांव पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे। इस नहर में लगभग 12 हजार मिलियन (sharda yamuna link canal project)क्यूसेक पानी हर समय चलेगा। नहर की चौड़ाई करीब 600 मीटर तथा लंबाई करीब 386 किलोमीटर होगी। इस परियोजना के लिए ड्रोन से भी सर्वे किया जा रहा है ताकि नहर के रूपरेखा को सुनिश्चित किया जा सके।
भारत के बंटवारे के वक्त सिख समुदाय के काफी लोग पाकिस्तान से आकर बिजनौर के अफजलगढ़, कादरादाबाद और बढ़ापुर के जंगलों में बस गए थे। अब इस नहर परियोजना से इनके(sharda yamuna link project muzaffarnagar)गांवों को फिर से विस्थापित होने का डर सता रहा है। सिख समाज के लोगों का मानना है कि जो हाल उनका बंटवारे के दौरान हुआ था वही हाल नहर निर्माण से हो सकता है।
शादीपुर के आसपास भी लगाए जा रहे निशान
गांव शादीपुर, जीवनपुर, नूर अलीपुर भगवंत उर्फ डेहरी, पैहरूवाला समेत आसपास के कई गांवों और उनसे जुड़े कृषि भूभाग पर चिह्नांकन का कार्य किया गया है। चिह्नांकन कर रही टीम ने ग्रामीणों को बताया कि यह कार्य शारदा-साबरमती लिंक परियोजना के लिए किया जा रहा है। ग्राम पंचायत शादीपुर के अंतर्गत गांव पीपलसाना इस परियोजना की जद में आ रहा सकता है। गांव के उत्तर और दक्षिण ने निशान लगाए गए हैं। इसके साथ ही खेतों को भी चिह्नित किया गया है। ग्रामीण वरुण कुमार ने बताया कि उनके खेतों के आसपास भी निशान लगाए गए हैं।
नहर के निर्माण के संबंध में गांव भोगपुर और कुआंखेड़ा के प्रधानों ने बताया कि इस परियोजना से उनके गांवों को प्रभावित होने का आशंका है। इससे कई गांव बिलकुल खत्म हो जाएंगे और लोगों को पुनर्वास के लिए दूसरी जगह ढूंढने की मुश्किल होगी। इसके साथ ही, पाकिस्तान से आकर बिजनौर के अफजलगढ़, कादरादाबाद और बढ़ापुर के जंगलों में बसे हुए शरणार्थियों को भी इस परियोजना का असर महसूस होगा।
गांव भोगपुर निवासी ग्राम प्रधान मंगतराम कांबोज और कुआंखेड़ा के प्रधान सतपाल सिंह ने बताया कि नेपाल बॉर्डर से शुरू होने वाली शारदा नदी को बिजनौर से होकर यमुना नदी में जोड़ने के लिए एक परियोजना बनी है। यह नहर नेपाल बॉर्डर से होकर बिजनौर के थाना बढ़ापुर क्षेत्र के गांव कुआंखेड़ा, भोगपुर, वीरभान वाला, टांडा साहूवाला, मीठोपुर सहित अन्य कई गांवों से होकर गुजरेगी। जिससे प्रभावित होकर बिजनौर के कई दर्जन गांव पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे।
इस नहर में लगभग 12 हजार मिलियन क्यूसेक पानी हर समय चलेगा। इसकी चौड़ाई करीब 600 मीटर तथा लंबाई करीब 386 किलोमीटर रहेगी।कालागढ़-शेरगढ़ खदरी बिजली उत्पादन के लिए डैम बनाए जाने की बात भी कही जा रही है। (sharda yamuna sabarmati link project map pdf)उन्होंने बताया कि कुआंखेड़ा, वीरभान, भोगपुर पहले ही वन से घिरे होकर बाढ़ ग्रस्त रहते हैं। हिमालय से आने वाली इस नहर को तटबंध से रोक दिया जाएगा। जिससे क्षेत्र के कई गांव जलमग्न रहेंगे।
गांव-गांव होने लगीं पंचायतें
क्षेत्रवासियों की ओर से गांव-गांव में पंचायतें होने लगी हैं। साथ ही एक महापंचायत की तैयारी की जा रही है। इसी क्रम में गांव कुआंखेड़ा, भोगपुर में पंचायत के बाद गांव बुधवार को वीरभान में पंचायत की गई। बैठक में ग्रामीणों ने शारदा नदी का रुख मोड़कर किसी अन्य क्षेत्र से निकाले जाने पर विचार रखे। मुख्यमंत्री से मिलकर अपने हक में गुहार लगाने पर चर्चा की गई।
शारदा-साबरमती परियोजना के माध्यम से नेपाल की शारदा और गुजरात की साबरमती नदी को जोड़ने के प्रयास के पीछे कई उद्देश्य हैं। इस परियोजना से नदियों के पानी का संचय होगा और कृषि और पेयजल के लिए समृद्धि बढ़ेगी। इससे राजस्थान के सुकली नदी