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Oil Latest Price Upxdates : आज सरसों के तेल मे आई भारी गिरावट, लोगों को दिवाली से पहले मिला ये बड़ा तोहफा, जाने पूरी जानकारी

Oil Latest Price Upxdates

Oil Latest Price Upxdates : आपको बता दें कि दिवाली से पहले आम लोगों को बड़ी राहत दी गई है. जी हां, लोग इस बात से खुश हैं कि सरकार ने हाल ही में सरसों तेल के दाम कम कर दिए हैं, आइए जानते हैं पूरी जानकारी

इन सभी कारकों के कारण पिछले सप्ताह सोयाबीन तेल और तिलहन की कीमतों में सुधार हुआ। उन्होंने कहा कि सोयाबीन, जो खाद्य तेल की लगभग 55% आवश्यकता को पूरा करता है, भारत में कांडला बंदरगाह पर आयातकों द्वारा कम कीमतों पर बेचा जा रहा है।

थोक मूल्यों में कमी-
सूत्रों ने बताया कि पिछले हफ्ते कांडला बंदरगाह पर बायोडीजल निर्माताओं ने दिसंबर कॉन्ट्रैक्ट का सूरजमुखी तेल 76.50 रुपये प्रति लीटर पर खरीदा है। अब बायोडीजल कंपनियां आयातित सूरजमुखी तेल खरीद रही हैं क्योंकि यह काफी सस्ता है। इस तेल को बाजार में "किंग ऑयल" कहा जाता है। लेकिन इस छोटी सी गिरावट से कोई राहत नहीं मिलती। तेल मिलें, तेल व्यापारी, आयातक और उपभोक्ता सभी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। खाद्य तेलों की थोक कीमतें गिरने के बावजूद उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल रही है।

मांग में वृद्धि-
सूत्रों ने कहा कि उपभोक्ताओं को सरसों का तेल लगभग 30 रुपये प्रति लीटर, मूंगफली का तेल 50-70 रुपये प्रति लीटर और सूरजमुखी का तेल लगभग 30 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। सूत्रों ने बताया कि सर्दियों में पाम पामोलीन तेल की जरूरत नहीं होती है। सोयाबीन और सूरजमुखी तेलों के स्थान पर पाम और पामोलीन की मांग बढ़ रही है। व्यावसायिक सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेल का कारोबार अब वैसा नहीं रहा जैसा पहले हुआ करता था जब रबी तिलहन फसल की कमी को खरीफ उत्पादन बढ़ाकर पूरा किया जाता था। ख़रीफ़ में उत्पादन भी बढ़ता है, लेकिन इससे ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि आबादी और माँग दोनों बढ़ी हैं. इसीलिए अब हम विदेशी बाजारों और वहां से आयात पर काफी निर्भर हैं और घरेलू उत्पादन में गिरावट या बढ़ोतरी का यहां के बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।


तिलहन एवं तेलों की स्थिति
उन्होंने कहा कि स्वदेशी तिलहन वर्तमान में बहुत नाजुक स्थिति में हैं क्योंकि उन पर सस्ते आयातित तेलों का भारी दबाव है, जिससे उनका उपभोग करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में आयातित तेलों की कीमतें गिरने से घरेलू तेलों पर दबाव बढ़ जाता है। कांडला बंदरगाह पर सॉफ्ट ऑयल का स्टॉक पहले की तुलना में काफी कम है और नवंबर में सॉफ्ट ऑयल का आयात कम होने की संभावना है। त्योहारों, शादी-ब्याह के मौसम और सर्दियों के दौरान नरम तेलों की मांग और बढ़ेगी। तेल संगठनों को आने वाले दिनों में नरमे के तेल की आपूर्ति के बारे में सरकार को सूचित करना चाहिए।

ये खर्च हैं-
सरसों का थोक भाव पिछले सप्ताह से 95 रुपये गिरकर 5,700-5,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल 375 रुपये टूटकर 10,500 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया। सरसों पैक घानी तेल प्रति 15 किलोग्राम टिन की कीमत 50 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 1,785-1,880 रुपये और 1,785-1,895 रुपये पर बंद हुई। इसके विपरीत, पिछले सप्ताह सोयाबीन दाना का भाव 35 रुपये घटकर क्रमश: 5,085-5,185 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ, जबकि लूज का भाव क्रमश: 4,885-4,985 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल की कीमतें 10,000 रुपये प्रति क्विंटल पर क्रमश: 10,050 रुपये, 9,895 रुपये और 8,375 रुपये पर बंद हुईं।

ऊंची कीमतों पर कमजोर खरीदारी के कारण पिछले सप्ताह मूंगफली तेल की कीमतों में गिरावट आई। तिलहन मूंगफली तेल 125 रुपये प्रति टिन, 300 रुपये प्रति क्विंटल, 15,200 रुपये प्रति क्विंटल और 2,255-2,540 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए। सर्दियों के मौसम में कमजोर मांग के बीच पिछले सप्ताह कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 175 रुपये गिरकर 7,725 रुपये पर बंद हुआ; पामोलिन दिल्ली 300 रुपये गिरकर 9,000 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया; पामोलिन एक्स कांडला 175 रुपये गिरकर 8,175 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया। सामान्य गिरावट के रुख के अनुरूप बिनौला तेल की कीमतें भी समीक्षाधीन सप्ताह में 200 रुपये गिरकर 8,725 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुईं।

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