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सरसों की बुआई के समय शक्तिवर्धक खाद डालें जिससे हारी हुई बाजी भी जीत जाए, होगी तगड़ी पैदावार

Sarso ki kheti

Times Of Discover चंडीगढ़ : सरसों बोने का सही समय- जब सरसों बोने की बात आती है तो समय एक महत्वपूर्ण कारक होता है। सही समय पर बुआई न करने से आपकी फसल को नुकसान हो सकता है. सरसों की बेहतर पैदावार के लिए सबसे अच्छा समय 5 से 20 अक्टूबर के बीच है। इस दौरान सरसों की बुआई करना बेहद जरूरी है.

सरसों उगाने का सबसे उपयुक्त समय: इस दौरान सरसों बोने के कुछ महत्वपूर्ण चरण हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए।

बुआई की तैयारी: यदि आपका खेत खाली है तो आपको खेत में खेलकर खेत तैयार करना चाहिए। गहरी खेती से सरसों की जड़ें अच्छी तरह जम सकती हैं और पौधे मजबूत हो सकते हैं।

खाद एवं उर्वरक: सरसों की खेती में फास्फोरस महत्वपूर्ण है। आप डीएपी या सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग कर सकते हैं, जो फॉस्फोरस की पूर्ति करेगा।

खुराक: खुराक के संदर्भ में, आपको लगभग 30 किलोग्राम प्रति एकड़ डीएपी और 50 से 70 किलोग्राम प्रति एकड़ सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग करना चाहिए।

पोटाश का महत्व: सरसों की फसल सूखने के दौरान पौधों को तनाव से बचाने में पोटाश महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

खुराक: आपको प्रति एकड़ लगभग 20 से 25 किलोग्राम पोटाश डालना चाहिए।

यूरिया और सल्फर सामग्री: यूरिया का उपयोग नाइट्रोजन की आपूर्ति के लिए किया जा सकता है, जबकि सल्फर फसल के साथ विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद करता है।

खुराक: यदि सल्फर की आवश्यकता हो तो आप बेंटोनाइट सल्फर का उपयोग कर सकते हैं, जिसे 15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से लगाना चाहिए।

खुराक कितनी रखें: आप लगभग 80 प्रतिशत या बेंटोनाइट सल्फर का उपयोग करने पर विचार कर सकते हैं, जो प्रति एकड़ 15 किलोग्राम होना चाहिए।

सरसों की बुआई करते समय सही उर्वरकों और उर्वरकों का उपयोग करने से फसल की उत्पादकता में मदद मिल सकती है।
सही समय पर बुआई करने से सरसों की पैदावार बढ़ सकती है।
पोटाश, सल्फर और यूरिया की संतुलित मात्रा मिलाने से फसल की पैदावार बढ़ सकती है।
इसके अलावा सरसों की खेती के लिए अपने नजदीकी कृषि सलाहकार से भी सलाह लें

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